♦ गुडहल का फूल और अनुलोम विलोम प्राणायाम दोनों ही हैं उत्तम रक्त शोधक ♦


शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो गुड़हल के फूल को जानता पहचानता नहीं होगा | हाँ यह जरुर है कि अलग अलग भाषाओँ व क्षेत्र में यह अलग - अलग नामों से जाना जाता है | हिंदी में इसे गुड़हल और ओडहुल नामों से जाना जाता है, बंगला में जवा, संस्कृत में जपाती संध्या, गुजराती में जासुद, मराठी में जास्वंद व अंग्रेजी में हिस्विस्कस नाम से जाना जाता है | यह पुष्प आदि शक्ति माँ दुर्गा को अति प्रिय है इसीलिए बहुत से लोग इसे देवी फूल भी कहते हैं | यह फूल जितना देखने में सुन्दर होता है उससे कई गुना ज्यादा इसमें औषधीय गुण भी विद्यमान है | जिस तरह योग शास्त्र में रक्तशोधक के रूप में अनुलोम विलोम प्राणायाम को महत्वपूर्ण बताया गया है उसी प्रकार फूलों में गुड़हल के फूल को उत्तम रक्तशोधक माना गया है | गुड़हल के फूल का पेस्ट बनाकर बालों में लगाने से बाल रेशम की तरह मुलायम व चमकदार होते हैं साथ ही गंजापन दूर होता है  | गुण धर्म की दृष्टि से यह मधुर, कफ - पित्त शामक, रक्तशोधक , पुष्टिकारक, मूत्रल तथा रक्तार्श, रक्तातिसार, स्मरण शक्ति की दौर्बल्यता, बुखार, ह्रदय रोग, दाद, प्रमेह, प्रदर, उन्माद, आदि में लाभप्रद है |
गुड़हल की कली का नित्य प्रातः सेवन जोड़ों के विकारों हेतु श्रेयष्कर है, इसके सेवन से जोड़ों को गतिशील रखने वाले फ्यूल का उत्पादन व्यवस्थित रहता है किन्तु याद रहे कली का हरा हिस्सा सेवन नही करना है | गुड़हल का फूल चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं | उन्माद रोग  दूर करने वाला यह एकमात्र पुष्प है, पेट की गर्मी से होने वाले रोगों में गुड़हल का गुलकंद या शरबत काफी हितकारी तो होता ही है साथ ही गुड़हल के पुष्प का शरबत ह्रदय को पुष्प की भाँति प्रफुल्लित करने वाला होता है | गुड़हल का पुष्प रक्तशोधक, रक्त वर्धक, मन मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करने वाला तथा प्रबल शक्ति वर्धक होता है |

4 Comments