योग और हर्बल

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वायरल संक्रमण के मौजूदा दौर में यह बात तो प्रमाणित हो चुकी है कि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर कोविड-19 महामारी के संक्रमण का खतरा ज्यादा है। ऐसे में बचाव और सावधानी ही कोरोना का इलाज है, इसके लिए हम आयुर्वेद और योग के कुछ उपायों द्वारा इससे अपना बचाव कर  सकते हैं। 

वायरल संक्रमण के मौजूदा दौर में यह बात तो प्रमाणित हो चुकी है कि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर कोविड-19 महामारी के संक्रमण का खतरा ज्यादा है। ऐसे में बचाव और सावधानी ही कोरोना का इलाज है। आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय बताए गए हैं, जिनके जरिए हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत कर सकते हैं और कई तरह के वायरल संक्रमण से बच सकते हैं। आयुर्वेद के जरिए हर व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। तो आइए जानते हैं आयुर्वेद की वो कौन-सी तरकीबें हैं, जो आपको सेहतमंद बना सकती है: 

Pic Source : Social Media | Yoga 

    योग और आपका खानपान

  • दिन भर में हल्का गर्म या गुनगुना पानी पीते रहें। 
  • कम से कम 30 मिनट प्रतिदिन योग व प्रणयाम  व् ध्यान करें।  
  • अत्यधिक मिर्च मसालों  वाला भोजन न करें। 
  • खाने में अदरक लहसुन धनिया आदि का प्रयोग करें 

  
Source : Google  | Chyavanprash 

    रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए करें ये उपाय 

  • प्रतिदिन सुबह एक चम्मच च्यवनप्राश का प्रयोग करें। 
  • ध्यान रखे जिन्हे मधुमेह है वह शुगर फ्री च्यवनप्राश का प्रयोग करें।  
  • दूध की बनी चाय के स्थान पर हर्बल टी का प्रयोग करें, हर्बल टी के विषय में साइट पर विधि दी गयी है। 
  • दूध में हल्दी डालकर पियें। 
Source : Google | काढ़ा 


    काढ़ा का प्रयोग देगा एनर्जी को बूस्ट 

  • तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सूंठी, मुनक्का को मिलाकर उसका बना काढ़ा दिन में एक  जरूर पियें, इससे आपका मन स्वस्थ्य रहता है और ऊर्जा भी बनी रहेगी। 
  • इच्छानुसार आप इस काढ़े में स्वादानुसार शक़्कर और निम्बू भी मिला सकते हैं।  काढ़ा बनाने की विधि आपको इस वेबसाइट पर मिल जायेगी। 

Source : google | Clove 

      

    खांसी और गले  ख़राश को ऐसे करें दूर। 


  • दिन में एक बार पानी गरम कर उसमें पुदीना का पत्ता या आजवाइन डालकर भाप लें, आराम मिलेगा।
  • लौंग चीनी और शहद में मिलाकर दिन में दो से तीन बार लें, इससे कफ और गले की खिचखिच दूर होगी।



कोरोना वायरस पर विजय पाने व व्यक्ति के इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधी क्षमता) को बढ़ाने के साथ - साथ चिंता व अवसाद से मुक्त होने के लिए योग व हर्बल की भूमिका निम्नवत हैं - 

योग - मानव शरीर के रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने के लिए योग में कपालभांति की क्रिया, अनुलोम विलोम प्राणायाम, सूर्य नमस्कार आसान, भ्रस्त्रिका प्राणायाम, तथा मानसिक तनाव व अवसाद से मुक्ति के लिए भ्रामरी प्राणायाम तथा सकारत्मक ध्यान अति आवश्यक है। उल्लेखनिय हैं कि उपरोक्त योगिक अभ्यास के माध्यम से हम अपनी रोग प्रतिरोधि क्षमता को बढाने के साथ-साथ कोरोना को भी मात दे सकते हैं।

हर्बल ( वनोषधिया) - रोग प्रतिरोधि क्षमता को बढ़ाने के लिए हमारे रसोई घर में तमाम औषधिया उपलब्ध रहती हैं, जैसे- हल्दी, कालीमिर्च,अदरक,जावित्री,लौंग इत्याद का काढ़ा बनाकर पीना अति श्रेयष्कर हैं।दिन भर कई बार गर्म पानी तथा निम्बू का सेवन अति उपयोगी हैं। जहा तक कोरोना अर्थात कोविड-19 के इलाज की बात है। उसमे देशभर के ऐलोपैथीक चिकित्सा पद्धति से जुड़े तमाम वैज्ञानिक दवा की खोज में जुटे हैं। किन्तु वनोषधियो में तमाम ऐसी जड़ी बूटियां हैं जो व्यक्ति के गले, श्वसन तंत्र, सिर दर्द, बुखार, शारीरिक पीड़ा को दूर करते हुए कोविड-19 अथवा कोरोना को मात दे सकता हैं। मैं यह दावा तो नही करता लेकिन उम्मीद करता हूँ। इन औषधियों जैसे- अदरक, अश्वगंधा,कचनार पीला,कालमेघ,ग्वारपाठा,पित्तपापड़ा,दमन पापड़ा, मुचकन्द,मुलेठी,शिलांगरी,हेमकंद,आदि से निर्मित औषधि कोरोना को मात देने हेतु एक अजेय योद्धा साबित होगा ऐसा प्रतीत होता है। गिलोय (अमृता) व शिरीष का काढ़ा भी विशेष गुणकारी होगा।
     
 मैं यहां गुणधर्म की दृष्टि से कुछ जड़ी बूटियों की चर्चा करना चाहूँगा, जैसे-
1. अदरक (Zingiber officinale) यह पाचक,सूजन,कफ़, वात, खाँसी, श्वास,अफरा,शूल,कंठ,मष्तक और छाती के रोगों का नासक है।
2.अशगंध (Physalis Somnifera) - यह जराव्याधि,कफ,श्वास,विष नासक है।
3.कचनार पीला (Vauhinia Purpurea) - यह शोथ,ज्वर आदि नासक हैं।
4.कालमेघ (andrographis peniculata) - यह आम दोष हर,ज्वरघ्न होता हैं ज्वर पर इसका असर क्विनाइन जैसा     किन्तु उससे कुछ कम होता है। क्विनाइन के दुष परिणाम इस से नहीं होते
5.ग्वारपाठा (aloe vera) - यह रोक्त शोधक तथा वेदना नाशक हैं
6.पित्त पापड़ा ( oldendia corynvosa) - पित्त पापड़ा की वैसे एक प्रजाति और पायी जाती हैं जिसका लैटिन नाम     (fumariea parviflora) हैं। लेकिन यहाँ हमे ऊपर वाली प्रजाति को महत्त्व देना है,यह स्नायु मंडल के अवसाद     युक्त पर्यायिक ज्वरो में और चिरलालिक मलेरिया में उत्तम ज्वरघ्न में दिया जाता हैं। इसे दमन पापड़ा के नाम       से भी जाना जाता है।
7.मुचकन्द (pterospermum suberifolium) - यह कफ, खाँसी, सिर दर्द, रक्त विकार नाशक है।
8.मुलेठी (glycyrrhiza glabra) - यह श्वर को सुधारने वली तथा विष का नाश करने वाली है।
9.शिलांगरी (vitix peduncularis) - इसे आसानी भाषा में ओसाई, आह्यी,आसई आदि नामो से जाना जाता हैं, इस वृक्ष के पत्तो के सिद्ध क्वाथ को आसाम प्रदेश में वेक वाटर फीवर में धन्वन्तरि की औषधि कहते हैं।               मुंडा,कोल,आरोया,भील और संथाल लोग ज्वर होते ही इसके पत्ते के रस को सेवन करते हैं। इसके पत्ते के रस     का सेवन करने से मृत प्रायः रोगी भी आरोग्य लाभ करते हैं।
10.हेमकंद (maerua arenaria) - यह विषग्न और कीटाणु नाशक है। काठिया वाड़ और गुजरात में यह घरेलू औषधि के रूप में युक्त की जाती हैं।

उपरोक्त योगिक क्रियाओं व विधियों के द्वारा हम अपनी रोग प्रतिरोधि क्षमता के साथ - साथ  कोरोना से सफलता पूर्वक लड़ सकते हैं।
 " योग की दृष्टि से कपालभाति करता है किडनी को पुष्ट"  

 गर्मियों के प्रारम्भ में प्रकृत्ति प्रदत्त औषधीय गुणों से भरपूर सलाद के रूप में प्रयोग किया जाने वाला सब्जी परिवार का प्रमुख सदस्य खीरा प्रचुर मात्रा में बाजार में दिखाई देने लगता है| आम तौर पर इसे उत्तर प्रदेश में खीरा, के नाम से ही जाना जाता है, कहीं कहीं इसे ककड़ी नाम से भी संबोधित किया जाता है. संस्कृत में इसे वृहल्फला तथा मूत्रफला, मराठी में वालुक, गुजराती में काकड़ी, बंगला में काकुर, अंग्रेजी में  क्यूकम्बर तथा बोटॉनिकल दृष्टि से क्यूक्युमिस युटिलीस्सीमस के नाम से जाना जाता है.
    सलाद के तौर पर प्रयोग किये जाने वाले खीरे में इरेप्सिन नामक एंजाइम होता है जो प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है. खीरे में विटामिन ए. , बी. , बी.6 , सी. , डी. , पोटैशियम, फास्फोरस, आयरन आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. खीरा पानी का बहुत अच्छा स्रोत है, इसमें 96 % पानी होता है. खीरा कब्ज से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ पेट से जुडी हर समस्या के लिए फायदेमंद साबित होता है. एसिडिटी, छाती के जलन में खीरे का नियमित सेवन लाभप्रद होता है.  खीरी में मौजूद सिलिकन और सल्फर बालों के ग्रोथ में मदद करते हैं. खीरा त्वचा को सनबर्न  से भी बचाता है. खीरे में साइकोइसोलएरीक्रिस्त्रोल,  लैरीक्रिस्त्रोल, पाइनोरीस्त्रोल आदि तत्त्व पाए जाते हैं जो सभी प्रकार के कैंसर जिसमें स्तन कैंसर भी शामिल है के रोकथाम में कारगर है.  खीरा गुर्दे को स्वस्थ्य रखने के साथ-साथ गुर्दे की पथरी को समाप्त करने के लिए रामबाण औषधि है. खीरे के नियमित सेवन से मासिक धर्म में होने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है. खीरे के सेवन से ह्रदय संबंधी रोगों की भी आशंका कम हो जाती है. खीरा में फाइबर व मैग्नीशियम होता है जो है ब्लड प्रेशर में एक तरह से दवा का काम करता हैं.  खीरे के एक टुकड़े को जीभ से मुंह के ऊपरी हिस्से पर एक मिनट तक रोकें, ऐसे में खीरे से निकलने वाला फाइटोकेमिकल मुंह की दुर्गन्ध को खत्म करता हैं. खीरे में सीलिशिया प्रचुर मात्रा में होता है जो जोड़ों को मजबूत करता है.


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