कोरोना वायरस पर विजय पाने व व्यक्ति के इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधी क्षमता) को बढ़ाने के साथ - साथ चिंता व अवसाद से मुक्त होने के लिए योग व हर्बल की भूमिका निम्नवत हैं -
योग - मानव शरीर के रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने के लिए योग में कपालभांति की क्रिया, अनुलोम विलोम प्राणायाम, सूर्य नमस्कार आसान, भ्रस्त्रिका प्राणायाम, तथा मानसिक तनाव व अवसाद से मुक्ति के लिए भ्रामरी प्राणायाम तथा सकारत्मक ध्यान अति आवश्यक है। उल्लेखनिय हैं कि उपरोक्त योगिक अभ्यास के माध्यम से हम अपनी रोग प्रतिरोधि क्षमता को बढाने के साथ-साथ कोरोना को भी मात दे सकते हैं।
हर्बल ( वनोषधिया) - रोग प्रतिरोधि क्षमता को बढ़ाने के लिए हमारे रसोई घर में तमाम औषधिया उपलब्ध रहती हैं, जैसे- हल्दी, कालीमिर्च,अदरक,जावित्री,लौंग इत्याद का काढ़ा बनाकर पीना अति श्रेयष्कर हैं।दिन भर कई बार गर्म पानी तथा निम्बू का सेवन अति उपयोगी हैं। जहा तक कोरोना अर्थात कोविड-19 के इलाज की बात है। उसमे देशभर के ऐलोपैथीक चिकित्सा पद्धति से जुड़े तमाम वैज्ञानिक दवा की खोज में जुटे हैं। किन्तु वनोषधियो में तमाम ऐसी जड़ी बूटियां हैं जो व्यक्ति के गले, श्वसन तंत्र, सिर दर्द, बुखार, शारीरिक पीड़ा को दूर करते हुए कोविड-19 अथवा कोरोना को मात दे सकता हैं। मैं यह दावा तो नही करता लेकिन उम्मीद करता हूँ। इन औषधियों जैसे- अदरक, अश्वगंधा,कचनार पीला,कालमेघ,ग्वारपाठा,पित्तपापड़ा,दमन पापड़ा, मुचकन्द,मुलेठी,शिलांगरी,हेमकंद,आदि से निर्मित औषधि कोरोना को मात देने हेतु एक अजेय योद्धा साबित होगा ऐसा प्रतीत होता है। गिलोय (अमृता) व शिरीष का काढ़ा भी विशेष गुणकारी होगा।
मैं यहां गुणधर्म की दृष्टि से कुछ जड़ी बूटियों की चर्चा करना चाहूँगा, जैसे-
1. अदरक (Zingiber officinale) यह पाचक,सूजन,कफ़, वात, खाँसी, श्वास,अफरा,शूल,कंठ,मष्तक और छाती के रोगों का नासक है।
2.अशगंध (Physalis Somnifera) - यह जराव्याधि,कफ,श्वास,विष नासक है।
3.कचनार पीला (Vauhinia Purpurea) - यह शोथ,ज्वर आदि नासक हैं।
4.कालमेघ (andrographis peniculata) - यह आम दोष हर,ज्वरघ्न होता हैं ज्वर पर इसका असर क्विनाइन जैसा किन्तु उससे कुछ कम होता है। क्विनाइन के दुष परिणाम इस से नहीं होते
5.ग्वारपाठा (aloe vera) - यह रोक्त शोधक तथा वेदना नाशक हैं
6.पित्त पापड़ा ( oldendia corynvosa) - पित्त पापड़ा की वैसे एक प्रजाति और पायी जाती हैं जिसका लैटिन नाम (fumariea parviflora) हैं। लेकिन यहाँ हमे ऊपर वाली प्रजाति को महत्त्व देना है,यह स्नायु मंडल के अवसाद युक्त पर्यायिक ज्वरो में और चिरलालिक मलेरिया में उत्तम ज्वरघ्न में दिया जाता हैं। इसे दमन पापड़ा के नाम से भी जाना जाता है।
7.मुचकन्द (pterospermum suberifolium) - यह कफ, खाँसी, सिर दर्द, रक्त विकार नाशक है।
8.मुलेठी (glycyrrhiza glabra) - यह श्वर को सुधारने वली तथा विष का नाश करने वाली है।
9.शिलांगरी (vitix peduncularis) - इसे आसानी भाषा में ओसाई, आह्यी,आसई आदि नामो से जाना जाता हैं, इस वृक्ष के पत्तो के सिद्ध क्वाथ को आसाम प्रदेश में वेक वाटर फीवर में धन्वन्तरि की औषधि कहते हैं। मुंडा,कोल,आरोया,भील और संथाल लोग ज्वर होते ही इसके पत्ते के रस को सेवन करते हैं। इसके पत्ते के रस का सेवन करने से मृत प्रायः रोगी भी आरोग्य लाभ करते हैं।
10.हेमकंद (maerua arenaria) - यह विषग्न और कीटाणु नाशक है। काठिया वाड़ और गुजरात में यह घरेलू औषधि के रूप में युक्त की जाती हैं।
उपरोक्त योगिक क्रियाओं व विधियों के द्वारा हम अपनी रोग प्रतिरोधि क्षमता के साथ - साथ कोरोना से सफलता पूर्वक लड़ सकते हैं।
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