भारत माता की जय



यहाँ उपस्थित इस ब्लॉग के सभी पाठकों को मेरी ओर से हमारे प्यारे देश के ६६वें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं |
       आज इस अवसर पर देश पर मिटने वाले शहीदों की याद में कुछ पंक्तियाँ अपने उद्बोधन के रूप में रखना चाहता हूँ | यह तो सभी जानते हैं की १५ अगस्त भारत का स्वतन्त्रता दिवस है, आज़ादी हमें स्वत: नहीं मिल गई अपितु एक लम्बे संघर्ष और हजारों लाखों लोगों के बलिदान के पश्चात ही भारत आजाद हो पाया था |
     सन अट्ठारह सौ सत्तावन की प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के  यज्ञ का आरम्भ किया महर्षि दयानंद सरस्वती ने और इस यज्ञ को पहली आहुति दी मंगल पाण्डेय ने | देखते ही देखते यह  यज्ञ चारों ओर फैल गया | झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, नाना राव जैसे योद्धाओं ने इस स्वतन्त्रता के यज्ञ में अपने रक्त की आहुति दी | दूसरे चरण में सरफरोशी की तमन्ना लिए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु आदि देश के लिए शहीद हो गये | तिलक ने स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है का उदघोष किया, सुभाष चन्द्र बोस ने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा का मंत्र दिया | अहिंसा और असहयोग का अस्त्र लेकर महात्मा गाँधी और गुलामी की बेड़ियाँ तोड़ने को तत्पर लौह पुरुष सरदार पटेल ने अपने प्रयास तेज कर दिए | नब्बे वर्षों की लम्बी संघर्ष यात्रा के बाद पंद्रह अगस्त सन उन्नीस सौ सैंतालिस को भारत को स्वतन्त्रता देवी का आशीर्वाद मिल सका और हमारा देश गुलामी की बेड़ियों से मुक्त होकर स्वतंत्र हुआ | और इस आज़ादी को सुरक्षित रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है | इस हेतु हम इस नारे के साथ इसकी रक्षा का संकल्प लेते हैं :-
                                                                
                                                                  प्यारा भारत , देश हमारा |
                                                                  इसकी रक्षा कौन करेगा???
                                                                हम करेंगे, हम करेंगे, हम करेंगे...

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