बीमारियों के परिप्रेक्ष्य में देखा जाये तो वर्तमान समय में तमाम बीमारियाँ समाज में दिखाई दे रही है, जिसमे सर्वाधिक रोगी मोटापा, सुगर, किडनी सम्बन्धी रोग तथा पथरी के पाए जाते है जिसके लिए कुलथी को सर्वोत्तम हर्बल के रूप में प्रयोग किया जाये तो यह अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाते हुए अचूक सिद्ध होगा | कुलथी आम तौर पर बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है | यहाँ यह बताना आवश्यक है की इसे पूरे देश में भिन्न- भिन्न नामों से जाना जाता है, हिंदी में कुलथी, कुलथ, खरथी, गराहट | संस्कृत में कुलत्थिका, कुलत्थ | गुजराती में कुलथी | मराठी में डूलगा, कुलिथ तथा अंग्रेजी में हार्स ग्राम इत्यादि नामों से जाना जाता है | गुण धर्म की दृष्टि से यदि देखा जाये तो यह शोथहर, अश्मरी भेदन, कास, श्वास, वातशामक, पित्त नाशक, रक्त विकार नाशक, मेदा रोग, यकृत व प्लीहा रोग नाशक, मोटापा, शर्करा नाशक, गुर्दारोग व पथरी आदि में यह अति उपयोगी है | किडनी की पथरी का भेदन तथा मोटापा का शमन तीव्र गति से करता है | वैसे तो इसके सेवन की विभिन्न विधियाँ है किन्तु यदि सुविधा की दृष्टि से देखा जाये तो सबसे आसान तरीका यह है की लगभग २५ ग्राम कुलथी २५० ग्राम पानी में भिगाकर रात्रि में रख दे, सुबह शौचादि से निवृत्त होकर उस पानी को पी जाएँ | तत्पश्चात उस बचे हुए कुलथी में पुन: २५० ग्राम पानी डालकर रख दें फिर ५ से ६ घंटे बाद उसे खौलाएं, खौलने पर आधा हो जाने के बाद छान कर उसे पुन: पी जाएँ | इस प्रकार नित्य कुछ दिनों तक सेवन करने के उपरोक्त वर्णित समस्त रोगों में अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होता है | अन्य चिकित्सा की दृष्टि से यदि देखा जाये तो चने का पानी उबाल कर पीना, पथरचट्टी की पत्ती का सेवन तथा यौगिक क्रिया में कपालभाति व बद्धकोणासन भी अचूक लाभकारी सिद्ध हुआ है | उपरोक्त के अलावा खीरा व खरबूजे का बीज, जौ व मूंग की दाल का पानी भी रोग से पीड़ित व्यक्ति को प्रयोग करना चाहिए | पथरी रोग से ग्रसित व्यक्ति को मद्यपान, मांसाहार, पालक, टमाटर, चावल व बैंगन का त्याग कर देना चाहिए |
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