पानी में है अद्भुत औषधीय शक्ति -योगाचार्य विजय श्रीवास्तव

शीतली
शीतकारी प्राणायाम
वायु मंडल में प्रदूषणकारी गैसों की वृद्धि, व्यापक स्तर पर हो रहे औद्योगीकरण के कारण जल प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है, इस जल प्रदूषण को रोकने के उपाय अवश्य करने चाहिए, क्योंकि जल में अद्भुत औषधीय शक्ति होती है जो कई रोगों से बचाती है और उपचार भी करती है. चिकित्सा की तमाम पद्धतियों में जल चिकित्सा भी जग जाहिर है बहुत से रोगों में जल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है. किसी रोग के उपचार हेतु ठन्डे पानी तो कई रोगों का उपचार गरम जल से किया जाता है. उदहारण के तौर पर जोड़ों का दर्द, घुटने का दर्द, स्पंडलाइटीस, कमर का दर्द, हड्डियों में जकड़न आदि में गरम पानी(सहने योग्य) से सेंकाई की जाती है. इसी तरह मोंच आ जाने या चोट लग जाने वाले स्थान पर ठन्डे पानी की पट्टी लगाने से न तो सुजन आयेगी और न ही दर्द बढ़ेगा. अधिक मात्रा में रक्त स्राव होने पर ठंडा पानी घाव पर डालने से रक्त बंद बहना बंद हो जाता है. तीव्र बुखार आने पर ठन्डे पानी की पट्टी माथे पर रखने व पुरे बदन को पानी से पोंछने पर भी लाभ होता है. शास्त्रों में उल्लिखित है की 'अजीर्नो भेषजं वारि बल प्रदम' यानी कि अजीर्ण अर्थात अपच होने पानी दवा का काम करता है और भोजन के बाद पानी से शरीर को बल कि प्राप्ति होती है. जिसे नींद न आती हो ऐसे व्यक्ति को शयन से पूर्व सहने योग्य गर्म पानी से भरी बाल्टी में पैरों को घुटने तक दाल कर पंद्रह से बीस मिनट तक रखना चाहिए इसके बाद पैरों के सूखे तौलिये से पोंछकर सोने से नींद अच्छी आती है. अकस्मात् आग से जल जाने या झुलस जाने पर जले हुए अंग को कुछ देर पानी में डालकर रखने से फफोले नहीं पड़ते और जलन दूर हो जाती है. ग्रीष्म ऋतू का आगमन हो रहा है, उलटी दस्त, बदहजमी, डायरिया का प्रकोप बढ़ जाता  हैशरीर में पानी कि कमी भी हो जाती है, शरीर में अत्यधिक पानी कि कमी हो जाने के कारण मृत्यु कि संभावना  रहती है ऐसी स्थिति में मरीज को बचाने में दो विकल्प विशेष लाभकारी होते है, या तो सेलाइन चढ़ाकर या चीनी नमक का घोल (उचित अनुपात में ) से युक्त पानी पिलाना. ये तो रहा जल का प्रत्यक्ष प्रयोग किन्तु यहाँ यह भी बताना समीचीन होगा कि योग कि दृष्टि से देखा जाये तो आवश्यकतानुसार व मौसम के अनुसार शीतली व शीतकारी प्राणायाम भी शरीर के होने वाले पानी कि कमी को दूर करता है.

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