शरीर का पेसमेकर "थायराइड ग्रंथि" - योगाचार्य विजय श्रीवास्तव ("थायराइड का है योग में सफल इलाज ")

थायराइड ग्रंथि मानव शरीर में गले में श्वास नाली के समीप पाई जाने वाली एक ऐसी ग्रंथि है जो थायाराक्सिन नामक हार्मोन का स्राव करती है, वही हार्मोन हमारे शरीर में होने वाली अधिकाधिक जैव रासायनिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है | यह हार्मोन मानव शरीर में होने वाली लगभग सभी क्रियाओं को प्रभावित करता है | थायराक्सिन शरीर के वजन, नींद, उत्साह, भूख, प्यास, ऊर्जा इत्यादि को नियंत्रित व संतुलित करता है | जब थायराइड ग्रन्थि ठीक से कार्य नहीं करती है तो हमारे रक्त में थायराक्सिन नामक हार्मोन का स्तर ज्यादा या कम होने लगता है इसे हम दो श्रेणी में विभक्त करते है जैसे हाइपर थायराइडिज्म और हाइपोथायाराइडिज्म अर्थात हम कह सकते है शरीर में वजन का बढ़ना व घटना दोनों ही स्थिति में हमारे थायराइड ग्रन्थि का अस्वस्थ्य होना ही है इस महत्वपूर्ण हार्मोनल ग्रन्थि को स्वस्थ व संतुलित बनाये रखने के लिए उपचार की दृष्टि से कुछ हर्बल्स (वनौषधि) तथा यौगिक क्रियाओं का सहारा लेना आवश्यक है थायराइड को स्वस्थ रखने के लिए कचनार, पुनर्नवा, मुलेठी व दालचीनी का सेवन श्रेयष्कर है साथ ही साथ नियमित आसन व प्राणायाम जैसे मत्स्यासन, उष्ट्रासन, सर्वांगसन, आनंद्मदिरासन, उर्ध्वापद्मासन, सिंहासन, कपालभाति व उज्जायी प्राणायाम थायराइड ग्रन्थि में होने वाली सारी गतिविधियों को नियंत्रित रखते हुए सामान्य व स्वस्थ बनाए रखता है | इस ग्रन्थि का स्वस्थ रहना इसलिए आवश्यक है क्योकि यह ग्रन्थि शरीर का पेसमेकर अर्थात गतिनिर्धारक है |

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